The Train... beings death 36
इंस्पेक्टर कदंब को चिंकी के रूम से जो स्केच बुक मिली थी उसे देखने पर कमल नारायण बहुत खुश हो गए थे। इससे पहले कि कमल नारायण ज्यादा कुछ बताते इंस्पेक्टर कदंब को डॉक्टर शीतल का कॉल आ गया जो बहुत ज्यादा घबराई हुई लग रही थी। शीतल से इंस्पेक्टर कदंब की ना जाने क्या बात हुई वो कमल नारायण जी को अनुष्ठान की तैयारी करने को कहकर तेजी से निकल गया।
लगभग 1 घंटे के बाद इंस्पेक्टर कदंब और नीरज फॉरेंसिक लैब पहुंचे। लैब में बहुत ज्यादा अफरा-तफरी का माहौल था। सभी लोग यहां से वहां भाग रहे थे। लगभग सभी लोग डरे हुए दिखाई दे रहे थे लेकिन फिर भी अपना अपना काम तेजी से करने में व्यस्त दिख रहे थे।
उन्हें इस तरह से देखकर इंस्पेक्टर कदंब और नीरज दोनों ही कंफ्यूज दिख रहे थे। दोनों के ही मन में हजारों सवाल थे और उन सवालों के जवाब केवल डॉ शीतल के पास थे। फिर भी नीरज के पास इंस्पेक्टर कदंब थे जिनसे पूछ पूछ कर नीरज अपने मन को थोड़ा शांत कर सकता था। इसी बात का फायदा उठाते हुए नीरज ने इंस्पेक्टर कदंब की तरफ देखते हुए पूछा, "सर..! फोन पर डॉ शीतल बहुत घबराई हुई थी और यहां पर यह सभी लोग तेजी से भाग रहे हैं। कहीं कोई दुर्घटना तो नहीं हुई??"
नीरज ने इतना कहकर अपने मन का बोझ तो हल्का कर लिया था लेकिन इंस्पेक्टर कदंब के मन पर बहुत बड़ा बोझ डाल दिया था। इंस्पेक्टर कदंब ने तुरंत घूरकर नीरज की तरफ देखा और तेजी से चलते हुए डॉ शीतल के केबिन की तरफ चले गए। नीरज भी पीछे पीछे लगभग दौड़ता हुआ डॉ शीतल के केबिन तक पहुंचा।
इंस्पेक्टर कदंब के मन में बहुत ज्यादा घबराहट हो रही थी इसीलिए डॉ शीतल के केबिन के दरवाजे को खोलते हुए एक मिनट के लिए उनके हाथ हैंडल पर रुक गए थे। फिर कदंब ने एक लंबी सांस ली और केबिन का दरवाजा खोल दिया। सामने ही डॉ शीतल बैठी हुई थी।
डॉ शीतल को सही सलामत देखकर इंस्पेक्टर कदंब ने एक राहत की सांस ली और फिर अंदर केबिन में जाते हुए पूछा, "आप ठीक तो हैं डॉक्टर..?? आपने मुझे कॉल किया था.. तब आप बहुत ज्यादा घबराई हुई लग रही थी। होप कोई सीरियस बात नहीं??"
इंस्पेक्टर कदंब को सामने देखते ही डॉ शीतल तेजी से उठी और एक्साइटमेंट में जाकर इंस्पेक्टर कदंब को गले लगा लिया। इस अचानक हुए इंसिडेन्ट से इंस्पेक्टर कदंब और नीरज की आंखें फैल गई थी कि अचानक से यह क्या हुआ??
इंस्पेक्टर कदंब तो हड़बड़ाए हुए से नीरज की तरफ देख रहे थे। तभी एकदम से नीरज के चेहरे पर एक हल्की सी स्माइल आई और नीरज ने अपना सर नीचे करके दूसरी तरफ देखकर हंसना शुरू कर दिया। नीरज के इस रिएक्शन से इंस्पेक्टर कदंब को भी थोड़ी शर्म आने लगी थी। उन्होंने धीरे से पूछा, "क्या हुआ डॉक्टर..? इज एवरीथिंग ओके??"
डॉ शीतल को जब ध्यान आया कि उन्होंने इंस्पेक्टर कदंब को गले लगाया हुआ था तो उन्होंने झटके से इंस्पेक्टर कदंब को छोड़ा और अपनी झेंप मिटाने के लिए इधर उधर देखने लगी। तीनों की कंडीशन थोड़ी सी ऑकवर्ड हो गई थी।
इंस्पेक्टर कदंब ने ऑकवर्ड सिचुएशन में बात बदलने की गर्ज से पूछा, "आपने कॉल किया था.. रीजन नहीं बताया? अब बताएंगे..??"
डॉ शीतल ने इंस्पेक्टर कदंब और नीरज को बैठने का इशारा करते हुए कहा, "हमारी रिसर्च पूरी हो गई! हमने जो उन दोनों जीवो के डीएनए टेस्ट किए थे.. उनकी टेस्ट रिपोर्ट्स आ गई।"
इतना सुनते ही नीरज ने सवाल किया, "क्या आया उन रिपोर्ट्स में..?? क्या हमारे काम की कोई चीज आई है? वह रिपोर्ट्स हमारी कुछ हेल्प कर सकती हैं??"
नीरज के ढेर सारे सवाल सुनकर डॉ शीतल जवाब में केवल मुस्कुरा दी। इंस्पेक्टर कदंब ने घूरकर नीरज की तरफ देखा मानो कह रहे हो.. तुम कुछ देर अपना मुंह बंद नहीं रख सकते!!
तभी शीतल ने एक फाइल उन लोगों की तरफ बढ़ा दी। इंस्पेक्टर कदंब ने फाइल खोलकर देखी और उसे वापस बंद करते हुए डॉ शीतल की तरफ खिसकाकर पूछा, "यह सब कुछ मेडिकल टर्म में लिखा हुआ है। आप हमें सिंपल भाषा में बताएंगी कि बोलना क्या चाह रही हैं??"
डॉ शीतल ने मुस्कुराते हुए फाइल ले ली और अपने ड्राॅर में रखते हुए कहा, "मैंने उन दोनों जानवरों के डीएनए टेस्ट करवाए थे। वह जो बच्चा था उसकी टेस्ट रिपोर्ट क्या है.. वह मैं बाद में बताऊंगी!! पहले उसके पिता की रिपोर्ट के बारे में बताती हूं।"
इंस्पेक्टर कदंब और नीरज दोनों ही सांस रोके हुए डॉ शीतल की बात ध्यान से सुन रहे थे। ऐसा लगता था मानो सांस लेने पर भी कोई इंपॉर्टेंट बात मिस हो सकती थी। इंस्पेक्टर कदंब ने सवालिया नजरों से शीतल की तरफ देखा.. तब शीतल ने आगे कहा, "वह जीव बहुत ही यूनिक है। उसकी बहुत सारी पावर्स को आपने तो देखा ही था। समय को भी अपने हिसाब से चलाने की पावर उसके अंदर है। उसके साथ-साथ वह बहुत ही फास्ट रिकवरी वाला जीव है। उसके डीएनए से पता चलता है कि अगर उसके शरीर के किसी अंग को काट दिया जाए तो वह अंग फिर से बन सकता है।"
डॉक्टर शीतल की बात सुनते ही नीरज ने तुरंत कहा, "जैसे छिपकली..!!"
"एक्सैक्टली..!! वैसे ही जैसे छिपकली की पूूंछ काटने के बाद दोबारा नई उग जाती है। उसके साथ साथ वह कहीं भी प्रकाश की तीव्रता के साथ आ जा सकता है। वह अपने आपको प्रकाश की किरण में भी बदल सकता है।"
यह सुनते ही इंस्पेक्टर कदंब और नीरज थोड़े से परेशान दिख रहे थे। तब उन्होंने पूछा, "और उस छोटे बच्चे का क्या...???"
"उस बच्चे के बारे में मैं आप लोगों को उसे दिखाने के साथ ही बताऊंगी।" इतना कहकर डॉ शीतल अपनी चेयर से उठ खड़ी हुई।
डॉ शीतल को खड़ा हुआ देखकर इंस्पेक्टर कदंब और नीरज ने भी अपनी कुर्सियां छोड़ दी थी। वह तीनों ही डॉ शीतल के साथ-साथ चल दिए।
केबिन से बाहर निकलते ही एक बड़ी गैलरी थी जिसे क्रॉस करने पर एक बड़ा सा दरवाजा था। दरवाजे के पास लेफ्ट हैंड साइड बायोमेट्रिक मशीन लगी हुई थी। डॉ शीतल ने उस मशीन में अपना फिंगरप्रिंट स्कैन किया। फिंगरप्रिंट स्कैन होते ही दरवाजा खुल गया और डॉ शीतल अंदर चली गई। उसके पीछे पीछे इंस्पेक्टर कदंब और नीरज भी चले गए और दरवाजा बंद हो गया।
अंदर जाते ही यहां वहां आश्चर्य से देखते हुए नीरज ने पूछा, "डॉक्टर..! इस जगह पर कुछ अलग महसूस हो रहा है।"
डॉ शीतल ने मुस्कुराते हुए कहा, "बिल्कुल.. यह जगह स्पेशली उस जीव के हिसाब से ही डिजाइन करवाई गई है। यहां पर किसी भी तरह के इलेक्ट्रिक या मैग्नेटिक फील्ड का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। ये भी कह सकते हैं कि यहाँ पर बहुत पावरफुल जैमर लगाए गए है। लास्ट टाइम हमने देखा था लक्ष्मी के बेड के पास एक बहुत ही अलग तरह का मैग्नेटिक फील्ड उस जीव ने तैयार किया था। उसी के बाद ही इतनी सारी टेंशन हुई थी। उसी की वजह से उसका बच्चा जल्दी से इस धरती पर आया। उन्हीं सब बातों को ध्यान रखते हुए इस चेंबर को स्पेशली डिजाइन करवाया गया है। ताकि वह यहां पर नहीं आ सके। वो यहां नहीं आ पाएगा तो हम उसके बच्चे को अपने हिसाब से टैकल कर पाएंगे। नहीं तो किसी भी पल वह अपने बच्चे को लेकर चला जाएगा और उसके बाद क्या कुछ होगा?? उसके बारे में कोई नॉलेज नहीं।"
इतनी बाते करते हुए डॉ शीतल और उनके पीछे पीछे इंस्पेक्टर कदंब और नीरज भी एक बड़े से कांच के चेंबर के बाहर पहुंच गए थे। चेंबर के अंदर देखते ही नीरज और कदंब के तो होश उड़ गए थे। अंदर बैठा जीव बहुत ही ज्यादा अजीब था।
वह नीले रंग का एक छोटा सा.. भारी भरकम जीव था। जिसके दो पैर थे बिल्कुल एक बंदर के जैसे..मगरमच्छ के जैसी एक लंबी सी पूंछ.. कमर की जगह पर उसके तीन सिर थे.. और सर के ऊपर उसका धड़ जो कि गर्दन तक किसी घोड़े जैसा था। गर्दन से दो एंटीना निकले हुए थे.. शायद आसपास के माहौल में शायद उसकी सुरक्षा के लिए थे या फिर आसपास की जानकारी इकट्ठा करने के लिए यह पता नहीं था। हाथ चार थे.. जो चारों दिशाओं में एक-एक था.. जो उसे कहीं भी चिपक कर ऊपर चढ़ाने में मदद करने के लिए थे। उसके तीनों सर जलीय जीव अष्टभुज के जैसे थे.. उसके हर सिर पर एक आंख, एक लंबी सी तीखी तलवार जैसी नाक थी। उसके धड़ के ऊपर जहां वह एंटीना निकले हुए थे... वहां पर एक बड़ा सा दांतो से भरा हुआ मुंह था। या यूं कह लीजिए कि दांतो का गार्डन ही बना हुआ था।
वह छोटा बच्चा भी किसी को भी डराने के लिए पर्याप्त था। उसे देखकर नीरज ने हकलाते हुए कहा, "सर..! सर..! मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस पुलिस की नौकरी में क्रिमिनल्स के अलावा इस तरह के विचित्र जानवर भी देखने को मिलेंगे। जब इनका बच्चा ही इतना खतरनाक दिख रहा है इसके पापा से मिलने के बाद तो जिंदा रहने का सोचना भी सपना लगेगा।"
नीरज की बात सुनते ही डॉ शीतल ने मुस्कुरा कर कहा, "तुम जैसा सोच रहे हो.. वैसा कुछ नहीं है। मैं मानती हूं कि इसे देखकर पता चलता है कि इसका बायोलॉजिकल फादर कितना ज्यादा खतरनाक होगा। लेकिन इसकी बॉडी में उस जानवर के साथ-साथ ह्यूमन डीएनए भी पाया गया है। इसे उस जानवर के साथ साथ लक्ष्मी के डीएनए भी मिले हैं। यह उतना खतरनाक नहीं हैं।"
"पर पहले तो ये ऐसा नहीं दिख रहा था??" इंस्पेक्टर कदंब ने परेशान होकर पूछा।
"मैंने बताया था ना कि ये बहुत फास्ट है। इसकी इतनी जल्दी डेवलपमेंट इसके डीएनए में ही है।" डॉक्टर शीतल ने कहा।
इंस्पेक्टर कदंब और नीरज को डॉक्टर की बात समझ में नहीं आई थी। उन्होंने कन्फ्यूजन से पूछा, "मतलब..??"
"मतलब यह की यह हमारी बातें सुन सकता है.. समझ सकता है और अपनी बुद्धि से हमारी तरह ही कोई भी काम कर सकता है। बस अभी फिलहाल बोल नहीं सकता। मैंने ट्राई किया है कि जल्दी ही यह बोलने लगे। लेकिन कुछ समय लगेगा फिर यह प्रॉपर बोलने लगेगा और हम इसे हमारी हेल्प करने के लिए कन्वेंस कर लेंगे। और फिर इन जानवरों की प्रॉब्लम हमेशा के लिए सॉल्व हो जाएगी।" डॉ शीतल ने बहुत ही ज्यादा खुश होकर कहा।
डॉ शीतल की बात सुनते ही इंस्पेक्टर कदंब ने पूछा, "कितना टाइम लगेगा इसके बोलने में??"
इंस्पेक्टर कदंब के सवाल पर शीतल ने कन्फ्यूजन से देखा तो कदंब ने आगे कहा, "मेरा मतलब है कि कितने टाइम बाद यह हमारे सवालों की जवाब दे पाएगा? तभी तो हम इसे अपनी हेल्प करने के लिए कन्वेंस कर पाएंगे!!"
शीतल ने मुस्कुराते हुए कहा, "लगभग 10 दिन!!"
"क्याऽऽऽ... 10 दिन..??" नीरज ने लगभग चीखते हुए कहा।
नीरज की आवाज इतनी तेज थी कि कांच के उस तरफ बैठे उस नन्हे जीव को भी नीरज की आवाज सुनाई दे रही थी। उसने कांच के दूसरी तरफ से नीरज को घूरते हुए देखा। उससे नीरज भी एक पल के लिए सकपका गया था।
डॉ शीतल ने इंस्पेक्टर कदंब से पूछा, क्या हुआ?? नीरज ने इस तरह से क्यों रिएक्ट किया? कोई प्रॉब्लम है??"
इंस्पेक्टर कदंब ने एक पल के लिए अपनी गर्दन झुका ली और फिर कहा, "हमारे पास केवल बुधवार तक का ही टाइम है। उसके बाद हम ट्रेन का आना जाना अगले 50 सालों तक बंद नहीं करवा पाएंगे।"
इतना सुनते ही शीतल ने चौंककर देखा। तभी नीरज ने कहा, "लक्ष्मी के दादाजी कमल नारायण जी का ट्रेन के आने जाने से इनडायरेक्टली कनेक्शन है। उन्हीं के साथ जाने पर हमें पता चला कि बुधवार तक का ही टाइम है.. हमारे पास.. ट्रेन को आने जाने से रोकने के लिए। उसके बाद इसे रोकने के लिए हमें और 50 साल इंतजार करना होगा।"
इतना सुनते ही शीतल ने इंस्पेक्टर कदंब को देखा तो कदंब ने कहा, "नीरज बिल्कुल ठीक कह रहा है। हमने कमल नारायण जी से बात की थी। उन्होंने ही हमें सब कुछ बताया था।"
इतना कहते हुए इंस्पेक्टर कदंब ने शुरू से लेकर आखिरी तक कमल नारायण जी के साथ हुई बातचीत और हर एक घटना के बारे में विस्तार से शीतल को समझा दिया।
तभी शीतल ने कहा, "एक काम करते है। हम लोग कमल नारायण जी से बात करते हैं..जब भी अनुष्ठान होगा हम इस जीव को लेकर वहां पहुंच जाएंगे। उससे पहले मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगी कि यह बोल पाए। जैसे ही यह हमारे सवालों के जवाब देने में सक्षम हो जाएगा. मैं इसे हेल्प करने के लिए मना लूंगी।"
शीतल की बात सुनकर इंस्पेक्टर कदंब और नीरज को भी विश्वास होने लगा था कि अब जल्द से जल्द इस समस्या से छुटकारा मिल सकता था। हर एक बात क्लियर करने के बाद इंस्पेक्टर कदंब और नीरज वहां से निकल गए थे।
घर जाने से पहले नीरज और इंस्पेक्टर कदंब एक बार फिर से कमल नारायण जी के पास गए। कमल नारायण जी अपने रूम में बहुत सारे ग्रंथों के बीच घिरे हुए बैठे थे। जैसे ही उन्होंने इंस्पेक्टर कदंब को वहां देखा तो सारे ग्रंथ एक तरफ करके अपना चश्मा उतारकर अपने पढ़ने वाले ग्रंथ पर रखते हुए कहा, "आओ इंस्पेक्टर..!! तुम अचानक इस तरह से चले गए थे तो मुझे थोड़ी चिंता होने लगी थी। अब तुम आ गए हो तो ऐसे जाने का कारण बता दो??"
इंस्पेक्टर कदंब ने पास ही में रखी कुर्सी सरकाकर बैठते हुए कहा, "कमल नारायण जी..! मैंने आपको बताया था ना कि आप की पोती ने उस विचित्र जीव के बच्चे को जन्म दिया था!!"
कमल नारायण जी ने अपना सर हां में हिलाते हुए कहा, "बिल्कुल आपने बताया था। उसका क्या??"
"हम अभी अभी उससे मिलकर आ रहे हैं। उस बच्चे में उस जानवर और इंसानों दोनों के गुण है। वह हमारी भाषा सुन और समझ सकता है। बस फिलहाल बोल नहीं सकता।" इंस्पेक्टर कदंब ने बताया।
कमल नारायण जी ने मुस्कुराते हुए कहा, "कोई बात नहीं! अनुष्ठान के समय उस जानवर को भी वही ले आना ताकि ट्रेन के साथ-साथ उसे भी वापस भेज सकें। अगर वह यहां रहा तो उसका पिता बार-बार यहां आने की कोशिश करेगा। और हो सकता है कभी ना कभी आने में सफल भी हो जाए। ऐसी परिस्थिति में हमारी इतनी मेहनत का भी कोई फायदा नहीं रहेगा।"
इंस्पेक्टर कदंब ने मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक है..!! फिर आप अपनी बाकी की तैयारी कीजिए.. हम लोग निकलते हैं। आपको भी काफी कुछ रिसर्च करनी होगी उस अनुष्ठान से पहले.. ताकि अनुष्ठान में कोई भी कमी ना रह जाए।"
कमल नारायण जी ने मुस्कुराते हुए हां में अपना सर हिला दिया। इतना कहकर इंस्पेक्टर कदंब और नीरज वहां से निकलकर अपने घर चले गए।
सारी तैयारियों में 2 दिन कैसे बीत गए थे.. कुछ पता ही नहीं चला। सोमवार हो गया था.. बुधवार आने में केवल 1 दिन और दो रातें बाकी बची थी। जैसे जैसे समय गुजरता जा रहा था वैसे वैसे इंस्पेक्टर कदंब और नीरज को चिंता होने लगी थी। अगर चिंकी समय से वापस ना लौटी तो?? कहीं रास्ते में कोई दुर्घटना हो गई तो?? यही सोचते हुए उन दोनों की नींद हराम हो रखी थी।
डॉ शीतल ने भी अपनी तरफ से सारी कोशिशें कर ली थी। लेकिन वह बच्चा अभी तक बोल नहीं पा रहा था। यह बात डॉ शीतल को भी परेशान करने लगी थी। सोमवार का दिन ऐसे ही गुजर गया था.. अभी तक कहीं से भी आगे बढ़ने का कोई क्लू नहीं मिला था।
क्रमशः...
Punam verma
01-Apr-2022 05:16 PM
Very nice part mam . Apko nahi pata ki mai aane wale parts ke liye kitni excited hu . Aage ke part me chinki ka kya hoga ye dekhne ko milega. 👌
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Aalhadini
02-Apr-2022 01:47 PM
Thank you very much ma'am 🙏 😊
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